Hindi Notes for Chapter 13 Class 12 - FREE PDF Download
FAQs on Gandhi, Nehru, aur Yaseer Arafat Class 12 Notes: CBSE Hindi (Antra) Chapter 13
1. लेखक भीष्म साहनी सेवाग्राम क्यों और कब गए थे?
लेखक 1938 में सेवाग्राम गए थे क्योंकि उनके भाई, बलराज साहनी, वहाँ 'नई तालीम' पत्रिका के सह-संपादक के रूप में काम कर रहे थे। लेखक अपने भाई से मिलने और वहाँ के वातावरण का अनुभव करने के लिए गए थे, जहाँ उन्हें महात्मा गाँधी से मिलने का अवसर भी मिला।
2. 'गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात' पाठ के मुख्य विषय क्या हैं, जिनका रिवीज़न करना ज़रूरी है?
इस पाठ के रिवीज़न के लिए मुख्य विषयों में शामिल हैं:
- नेतृत्व और विनम्रता: महान नेताओं के शक्तिशाली व्यक्तित्व के साथ उनकी विनम्रता और व्यक्तिगत व्यवहार का चित्रण।
- मानवीय संबंध: राजनीतिक विचारधाराओं से परे व्यक्तिगत और सांस्कृतिक जुड़ाव का महत्व।
- सेवा भाव: गाँधीजी, नेहरू और अराफ़ात के माध्यम से निस्वार्थ सेवा के आदर्श को प्रस्तुत करना।
- वैश्विक प्रेरणा: यह दर्शाना कि ये नेता केवल अपने देश के लिए ही नहीं, बल्कि विश्व स्तर पर प्रेरणा के स्रोत थे।
3. यह पाठ भीष्म साहनी की किस रचना का अंश है?
यह पाठ, 'गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात', लेखक भीष्म साहनी की आत्मकथा 'आज के अतीत' का एक अंश है। इसमें लेखक ने अपने जीवन के उन यादगार क्षणों का वर्णन किया है जब उन्हें इन तीन महान हस्तियों से मिलने का अवसर मिला था।
4. नेहरू द्वारा सुनाई गई बाजीगर की कहानी का पाठ के संदर्भ में क्या महत्व है?
नेहरू द्वारा सुनाई गई बाजीगर की कहानी का गहरा प्रतीकात्मक महत्व है। यह कहानी बताती है कि सच्ची भक्ति या सेवा किसी कर्मकांड या दिखावे की मोहताज नहीं होती। जैसे बाजीगर ने माता मरियम को अपनी कला का प्रदर्शन करके अपनी श्रद्धा व्यक्त की, उसी प्रकार किसी भी व्यक्ति का कर्म ही उसकी सबसे बड़ी पूजा है। यह नेहरू के धर्मनिरपेक्ष और मानवतावादी दृष्टिकोण को भी दर्शाता है।
5. यास्सेर अराफ़ात का आतिथ्य लेखक को संकोच में क्यों डाल देता है? यह घटना नेतृत्व के बारे में क्या सिखाती है?
यास्सेर अराफ़ात का आतिथ्य लेखक को संकोच में डाल देता है क्योंकि एक राष्ट्र के सर्वोच्च नेता होने के बावजूद, वे स्वयं लेखक के लिए फल छील रहे थे और तौलिया लेकर गुसलखाने के बाहर खड़े थे। यह असाधारण विनम्रता और सेवा भाव लेखक की एक बड़े नेता की पारंपरिक छवि से मेल नहीं खाता था। यह घटना सिखाती है कि सच्चा नेतृत्व पद के अहंकार से मुक्त होता है और दूसरों की सेवा करने में ही महानता समझता है।
6. इस पाठ में वर्णित प्रमुख घटनाओं और मुलाकातों का संक्षिप्त रिवीज़न कैसे करें?
इस पाठ की प्रमुख घटनाओं का त्वरित रिवीज़न करने के लिए इन तीन मुलाकातों पर ध्यान केंद्रित करें:
- गाँधीजी से भेंट: सेवाग्राम में सुबह की सैर के दौरान गाँधीजी से पहली मुलाकात और उनकी कार्यशैली तथा संवेदनशीलता का अनुभव।
- नेहरूजी के साथ समय: कश्मीर में नेहरूजी के साथ भोजन और बातचीत, जहाँ उन्होंने धर्म और मानवता पर बाजीगर की कहानी सुनाई।
- यास्सेर अराफ़ात से मुलाकात: ट्यूनिस में अफ़्रो-एशियाई लेखक संघ के सम्मेलन के दौरान अराफ़ात के सदर मुकाम में उनका व्यक्तिगत अतिथि-सत्कार।
7. पाठ में प्रस्तुत तीनों नेताओं—गाँधी, नेहरू, और अराफ़ात—की नेतृत्व शैली की तुलना उनके व्यक्तिगत व्यवहार के आधार पर कैसे की जा सकती है?
पाठ के आधार पर तीनों नेताओं की नेतृत्व शैली में विशिष्टताएँ दिखती हैं:
- गाँधीजी: उनकी शैली आध्यात्मिक और सेवा-केंद्रित थी। वे व्यक्तिगत स्तर पर लोगों की देखभाल करते थे और अनुशासन को महत्व देते थे।
- नेहरूजी: उनकी शैली बौद्धिक और आधुनिक थी। वे व्यस्तता के बीच भी संवाद और कहानियों के माध्यम से गहरे मानवीय मूल्यों को स्थापित करते थे।
- यास्सेर अराफ़ात: उनकी शैली अत्यंत विनम्र और अतिथि-सत्कार पर आधारित थी। वे अपने मेहमानों की सेवा स्वयं करके वैश्विक भाईचारे और सम्मान का संदेश देते थे।
8. यह पाठ ऐतिहासिक नेतृत्व को आज के मूल्यों से कैसे जोड़ता है?
यह पाठ दिखाता है कि अहिंसा, सेवा, सहिष्णुता, और विनम्रता जैसे शाश्वत मानवीय मूल्य किसी भी युग में प्रासंगिक होते हैं। गाँधीजी की करुणा, नेहरू का संवाद कौशल, और अराफ़ात का आतिथ्य आज के नेताओं और युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। यह पाठ सिखाता है कि पद से बड़ा व्यक्ति का आचरण होता है, जो आज के समाज में भी एक महत्वपूर्ण सबक है।

















