Hindi (Kshitij) Important Questions for Chapter 2 ल्हासा की ओर (Rahul Sankrityayan) Class 9 - FREE PDF Download
Vedantu’s provides important questions for Class 9 Hindi (Kshitij) Chapter 2, ल्हासा की ओर. This chapter, written by the renowned author Rahul Sankrityayan, presents a vivid description of the author’s experiences, the cultural richness of Tibet, and the challenges faced during his adventurous journey towards Lhasa, the spiritual heart of Tibet. To help you prepare for your exams, we have compiled a set of Class 9 Hindi Kshitij Important Questions that cover all the key aspects of this chapter, as per the CBSE Class 9 Hindi Syllabus. These questions will guide you in understanding the chapter’s themes, characters, and moral lessons in depth. Download the FREE PDF now to improve your exam preparation.
Access Class 9 Hindi Chapter 2: Lhasa Ki Aur (ल्हासा की ओर) Important Questions
1. नेपाल-तिब्बत मार्ग का इतिहास क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण था?
उत्तर: नेपाल-तिब्बत मार्ग प्राचीन समय से ही महत्वपूर्ण व्यापारिक और सैनिक मार्ग था। फरी-कलिङपोङ् मार्ग खुलने से पहले यह नेपाल और भारत को तिब्बत से जोड़ता था। इस मार्ग पर पुराने किले और चौकियाँ स्थित थीं, जहाँ कभी चीनी सैनिक तैनात होते थे। यह मार्ग तिब्बत से व्यापार और अन्य कार्यों के लिए भी उपयोग होता था।
2. तिब्बती समाज का कैसा वर्णन किया गया है?
उत्तर: तिब्बती समाज एक खुला हुआ समाज है, जहाँ जाति-पाँति, छुआ-छूत और पर्दा जैसी कोई परंपराएँ नहीं हैं। यहाँ अपरिचित लोग भी बिना किसी संकोच के घरों में जाकर चाय बना सकते हैं या स्वयं बना सकते हैं। चाय-मक्खन, नमक और सोडा मिलाकर तैयार की जाती है, और यह खोटी नामक टोंटीदार बर्तन में दी जाती है।
3. लेखक को तिब्बत यात्रा के दौरान किस प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर: लेखक को तिब्बत यात्रा के दौरान डाँडा थोङ्ला की कठिन यात्रा का सामना करना पड़ा। यहाँ ऊँचाई पर स्थित रास्तों से गुजरते समय कोई बस्तियाँ नहीं दिखाई देतीं, और डाकुओं का भी भय बना रहता था। लेखक भिखमंगे वेश में होने के कारण डाकुओं से बचने में सफल रहे।
4. सुमति के साथ यात्रा करते समय लेखक को कहाँ ठहरने की सुविधा मिली और कैसे?
उत्तर: सुमति की जान-पहचान के कारण लेखक को ठहरने के लिए एक अच्छा स्थान और भोजन मिला। यहाँ उनकी भिखमंगे वेश-भूषा के बावजूद सुमति की मदद से उन्हें अच्छे ठहराव की व्यवस्था हो पाई।
5. डाँडा थोङ्ला के दौरान लेखक को क्या खतरें थे?
उत्तर: डाँडा थोङ्ला के रास्ते पर बहुत ऊँचाई थी और यहाँ कोई बस्ती नहीं दिखाई देती थी। डाकुओं का भय भी बना रहता था, और यात्रा खतरनाक थी। लेखक भिखमंगे वेश में होने के कारण डाकुओं से बच गए, लेकिन यह यात्रा कठिन और चुनौतीपूर्ण थी।
6. लङ्कोर यात्रा के दौरान लेखक के घोड़े की स्थिति क्या थी?
उत्तर: लङ्कोर यात्रा के दौरान लेखक का घोड़ा बहुत धीमे चल रहा था और वह साथियों से पीछे रह गया। रास्ता भटकने के कारण, सुमति ने लेखक पर क्रोध किया, लेकिन बाद में घोड़े की स्थिति समझने पर उनका क्रोध ठंडा हो गया।
7. लेखक ने तिंगी से शेकर विहार की यात्रा के दौरान किन समस्याओं का सामना किया?
उत्तर: लेखक ने तिंगी से शेकर विहार की यात्रा के दौरान शरीर की असहनीय स्थिति का सामना किया। सूर्य की तेज़ गर्मी से एक तरफ शरीर तप रहा था और दूसरी तरफ बर्फ से कंधे ठंडे हो रहे थे। इसके अलावा, सामान को पीठ पर ढोने की कठिनाई भी थी।
8. शेकर विहार में लेखक का अनुभव क्या था?
उत्तर: शेकर विहार में लेखक का स्वागत बड़े आदर से किया गया। यहाँ एक बौद्ध मंदिर में 103 हस्तलिखित ग्रंथ थे, जिनका लेखक ने अध्ययन किया। इस स्थान पर लेखक को अच्छा भोजन और आराम मिला।
9. लेखक ने तिब्बत में बौद्ध धर्म और उसके ग्रंथों के बारे में क्या उल्लेख किया है?
उत्तर: लेखक ने शेकर विहार में बौद्ध धर्म के 103 हस्तलिखित ग्रंथों का उल्लेख किया। यह ग्रंथ मंदिर में रखे हुए थे, और लेखक ने वहाँ बैठकर इन पुस्तकों का अध्ययन किया।
10. तिब्बत यात्रा के दौरान लेखक का दृष्टिकोण क्या था?
उत्तर: लेखक का दृष्टिकोण यात्रा को एक अनुभव के रूप में देखा गया। उन्होंने न केवल तिब्बत के धार्मिक और सांस्कृतिक पक्ष का वर्णन किया, बल्कि उन कठिनाइयों और चुनौतियों को भी साझा किया, जिन्हें उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान झेला।
11. डाँडा थोङ्ला यात्रा के दौरान लेखक ने किस प्रकार अपने संकट को हल किया?
उत्तर: डाँडा थोङ्ला यात्रा के दौरान जब डाकुओं का डर था, तो लेखक ने भिखमंगे वेश में अपनी टोपी उतारकर, जीभ निकालकर और 'कुची-कुची एक पैसा' कहकर भीख माँगने का नाटक किया, ताकि डाकुओं से बच सकें।
12. लङ्कोर में लेखक को कहाँ ठहरने की व्यवस्था मिली और कैसे?
उत्तर: लङ्कोर में लेखक को सुमति की कृपा से ठहरने के लिए अच्छा स्थान और भोजन मिला। सुमति की जान-पहचान के कारण लेखक को यहाँ आरामदायक ठहराव मिला।
13. तिब्बती चाय के बारे में लेखक ने क्या बताया?
उत्तर: तिब्बत में चाय-मक्खन, नमक और सोडा मिलाकर तैयार की जाती है, जो खोटी नामक टोंटीदार बर्तन में दी जाती है। यह चाय तिब्बती समाज में बहुत प्रचलित है।
14. शेकर विहार में लेखक ने किस स्थान पर अध्ययन किया?
उत्तर: शेकर विहार में लेखक ने एक बौद्ध मंदिर में बिठकर 103 हस्तलिखित ग्रंथों का अध्ययन किया।
15. लेखक ने अपनी यात्रा के दौरान तिब्बती समाज के बारे में क्या सीखा?
उत्तर: लेखक ने तिब्बती समाज को खुला, स्वागतशील और धर्मनिष्ठ पाया। यहाँ जाति-पाँति और छुआ-छूत जैसी समस्याएँ नहीं थीं।
16. लेखक को यात्रा के दौरान किस प्रकार की भौतिक कठिनाइयाँ झेलनी पड़ीं?
उत्तर: लेखक को तिब्बत यात्रा के दौरान ऊँचाई से गुजरते हुए डाँडे के रास्तों की कठिनाइयाँ झेलनी पड़ीं। इस दौरान उन्हें गर्मी और सर्दी का अजीब मेल सहना पड़ा, शरीर का एक हिस्सा सूरज से तप रहा था जबकि पीछे की ओर बर्फ हो रही थी। साथ ही, सामान को पीठ पर ढोने की कठिनाई भी थी।
17. लेखक ने नेपाल-तिब्बत मार्ग पर किस प्रकार के पुराने किलों का वर्णन किया है?
उत्तर: लेखक ने नेपाल-तिब्बत मार्ग पर पुराने किलों और चौकियों का वर्णन किया है, जो कभी चीनी सैनिकों से भरे होते थे। आजकल इन किलों में तिब्बती किसानों की बस्तियाँ हैं। यह किले और चौकियाँ सैनिक कार्यों और व्यापार के लिए महत्वपूर्ण स्थानों के रूप में उपयोग होते थे।
18. डाँडा थोङ्ला की यात्रा में भिखमंगे वेश अपनाने का लेखक का क्या कारण था?
उत्तर: डाँडा थोङ्ला की यात्रा के दौरान लेखक ने भिखमंगे वेश इसलिए अपनाया ताकि डाकुओं से बच सकें। भिखमंगे वेश में वह अपनी पहचान छुपा सके और डाकुओं से सुरक्षित रह सके, क्योंकि डाकू भिखारियों से कोई समस्या नहीं करते थे।
19. तिब्बत में चाय पीने का तरीका लेखक ने किस तरह से बताया है?
उत्तर: तिब्बत में चाय को मक्खन, नमक और सोडा मिलाकर तैयार किया जाता है। यह चाय एक विशेष बर्तन, जिसे "खोटी" कहा जाता है, में दी जाती है। यह तिब्बती समाज में एक सामान्य पेय है जो उन्हें ऊर्जावान बनाए रखता है।
20. लेखक ने तिब्बत यात्रा में अपने साथियों के साथ किस प्रकार के संबंधों का अनुभव किया?
उत्तर: लेखक ने तिब्बत यात्रा के दौरान अपने साथी सुमति के साथ अच्छे संबंधों का अनुभव किया। सुमति की मदद से उन्हें यात्रा के दौरान ठहरने और भोजन की सुविधाएँ मिलीं। सुमति का लेखक से अच्छा मित्रवत व्यवहार था, जो यात्रा को सरल और आरामदायक बनाता था।
21. लेखक ने लङ्कोर में किस प्रकार की समस्याओं का सामना किया और वे कैसे हल हुईं?
उत्तर: लेखक को लङ्कोर में यात्रा के दौरान घोड़े के धीमे चलने की समस्या का सामना करना पड़ा। वह अपने साथियों से पीछे रह गए और रास्ता भटक गए। लेकिन सुमति के समझाने और घोड़े की स्थिति को समझने पर उनका क्रोध शांत हो गया और वे एक साथ मिलकर आगे बढ़े।
22. लेखक ने शेकर विहार में तिब्बती संस्कृति और धर्म के बारे में क्या विचार साझा किए?
उत्तर: लेखक ने शेकर विहार में तिब्बती धर्म और संस्कृति का गहराई से अध्ययन किया। उन्होंने बौद्ध धर्म के 103 हस्तलिखित ग्रंथों का अध्ययन किया, जो तिब्बती संस्कृति की धरोहर थे। इसके साथ ही उन्होंने तिब्बती समाज के खुलेपन और धर्मनिष्ठता का भी उल्लेख किया।
Points to Remember from Class 9 Hindi Kshitij Chapter 2: Lhasa Ki Aur
The Nepal-Tibet route has been historically important for trade and military purposes. Several old forts and checkpoints are located along this route.
Tibetan society is described as open and free from caste discrimination, untouchability, and purdah (veil). Strangers can enter homes, make tea, or even serve themselves.
The staple drink is a unique mixture of tea, butter, salt, and soda, served in a special vessel called khoti.
Despite their shabby appearance, the author and his companion, Sumati, manage to find good places to stay and receive food, thanks to Sumati’s local connections and goodwill.
Upon reaching Shekhar Vihar in Tibet, the author is welcomed by the kind managers of the farming community.
The journey through Tibet is physically demanding, with extreme weather conditions – scorching heat on one side and cold on the other.
The openness of the Tibetan people is highlighted in the chapter.
The journey is not just about physical distance but also an exploration of different cultures, religious practices, and human connections, which offer the author valuable insights.
Benefits of Important Questions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 2: Lhasa Ki Aur
Important questions help students grasp the key themes, events, and concepts of the chapter.
By practising important questions, students can effectively prepare for exams.
These questions often highlight the most likely topics to appear in the exam, which helps students focus their revision efforts on the most relevant content.
Answering long-form questions in detail helps students improve their writing skills. These questions encourage students to analyse and interpret the chapter critically.
Important questions stimulate critical thinking by asking students to reflect on the journey, the challenges faced by the author, and the significance of the experiences described.
Important questions can help clear any doubts students may have about the chapter.
By engaging with important questions repeatedly, students reinforce their memory of the chapter's key points. The study of important questions promotes holistic learning.
Conclusion
Lhasa Ki Aur (ल्हासा की ओर) chapter from Class 9 Hindi (Kshitij) offers students a rich insight into the author’s journey through Tibet and Nepal, highlighting the challenges, cultural encounters, and personal growth along the way. By studying the important questions provided on this page, students can ensure a deep understanding of the key themes, events, and cultural aspects of the chapter. These questions will not only help in exam preparation but also enhance critical thinking and writing skills. With a thorough understanding of the chapter’s content, students can confidently approach their exams and appreciate the nuances of travel, cultural exchange, and the exploration of new worlds.
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