Hindi (Kshitij) Important Questions for Chapter 5 प्रेमचंद के फटे जूते (हरिशंकर परसाई) Class 9 - FREE PDF Download
FAQs on Premchand Ke Phate Joote (प्रेमचंद के फटे जूते) Class 9 Important Questions: CBSE Hindi (Kshitij) Chapter 5
1. प्रेमचंद के फटे जूते का परीक्षा की दृष्टि से क्या महत्व है? (CBSE Class 9 Hindi Important Question, 2025-26)
- फटे जूते लेखक प्रेमचंद की सादगी और वास्तविकता का प्रतीक हैं।
- कक्षा 9 के छात्रों के लिए यह प्रश्न बार-बार 3-5 अंकों के रूप में पूछा जाता है, जिसमें उनके मानवीय मूल्यों और समाज की आलोचना पर जोर है।
- यह महत्व इस बात में है कि प्रेमचंद का जीवन और संघर्ष, परीक्षा में उच्च-वर्गीय दिखावे पर फोकस करने वाले सवालों को चुनौती देता है।
2. लेखक ने प्रेमचंद की मुस्कान को उपहासपूर्ण क्यों बताया? (Expected FUQ, HOTS)
- लेखक के अनुसार, प्रेमचंद की मुस्कान में समाज की बनावटी आदतों के प्रति कटाक्ष था।
- यह मुस्कान कठिनाइयों का सामना करने की आंतरिक शक्ति और परिपक्वता को दर्शाती है।
- CBSE परीक्षाओं में यह प्रश्न अक्सर व्यंग्य एवं मानसिक दृढ़ता के सन्दर्भ में पूछा जाता है।
3. कहानी ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ का संदेश क्या है?
- कहानी का मुख्य संदेश है – दिखावा और अवसरवादिता में सच्ची महानता नहीं होती।
- सादगी, आत्मसम्मान और समाज के प्रति ईमानदारी ही प्रेमचंद जैसे महान व्यक्तित्व की पहचान हैं।
- परीक्षा में यह प्रश्न अक्सर 5-अंकीय प्रश्न के रूप में आता है।
4. ‘फटे जूते’ प्रेमचंद की जीवनशैली का क्या प्रतीक हैं? (Board Trends, Conceptual)
- फटे जूते केवल गरीबी का नहीं, बल्कि मानवीय गरिमा और उच्च विचारों का प्रतीक हैं।
- यह दर्शाते हैं कि प्रेमचंद ने कभी सच्चाई और सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं किया।
- इस प्रतीकात्मक प्रश्न पर परीक्षा में विश्लेषणात्मक उत्तर अपेक्षित है।
5. प्रेमचंद के जूते और लेखक के जूतों की तुलना का क्या अर्थ है? (Comparison FUQ, CBSE 2025–26)
- इस तुलना से स्पष्ट होता है कि लेखक दिखावे पर और प्रेमचंद वास्तविकता पर विश्वास करते हैं।
- लेखक के जूते सामान्य थे लेकिन प्रेमचंद के फटे जूते उनकी उच्च मानसिकता और संघर्षशीलता के प्रतीक बन जाते हैं।
- इस प्रश्न से छात्रों की तुलनात्मक विश्लेषण क्षमता जाँची जाती है।
6. समाज में दिखावे की प्रवृत्ति पर व्यंग्य कैसे किया गया है?
लेखक ने ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ में समाज के झूठे दिखावे और हाथों-हाथ अवसरवादी प्रवृत्तियों पर गहरा व्यंग्य किया है। फोटो में अच्छे दिखने की चाह, दिखावे के लिए झूठी छवि बनाना और असली जीवन मूल्यों का छूटना—यह सभी शक्ति, नीति और सरलता पर विश्वास को तिरस्कृत करता है।
7. क्या ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ में लेखक ने केवल प्रेमचंद की आलोचना की है?
नहीं, लेखक ने प्रेमचंद की सादगी, संघर्ष और सिद्धांतपरकता की सराहना की है। आलोचना असल में समाज के बनावटी मापदंडों की है, प्रेमचंद के अपने आत्मसम्मान और सच्चाई की नहीं। यह synthesis-based प्रश्न है जो छात्रों से विश्लेषण मांगता है।
8. फटे जूते और मुस्कान का सांकेतिक महत्व क्या है? (Symbolism FUQ, HOTS)
- फटे जूते संघर्ष, सच्चाई और आत्मसम्मान का प्रतीक हैं।
- मुस्कान हर हाल में सकारात्मक रहने और सामाजिक विडंबनाओं पर कटाक्ष करने की शक्ति दर्शाती है।
- सीख: कठिनाइयों का डटकर सामना करें, मानवीय मूल्य न छोड़ें।
9. ‘तुम फोटो का महत्व नहीं समझते’ — इस वाक्य का अभिप्राय परीक्षा में कैसे पूछा जा सकता है? (Expected 3-mark, Concept)
यह वाक्य प्रेमचंद की असली जीवन जीने की प्रवृत्ति और दिखावे से दूरी को इंगित करता है। फोटो में सुंदर दिखने की सामाजिक चाहत पर व्यंग्य करते हुए लेखक यह संदेश देता है कि असल छवि आडंबर में नहीं, यथार्थता में है। परीक्षा में इससे संबंधित interpretative प्रश्न पूछा जा सकता है।
10. यदि प्रेमचंद दिखावे के लिए अच्छे जूते पहनते, तो पाठ का संदेश कैसे बदल जाता? (Application FUQ)
यदि प्रेमचंद दिखावे में विश्वास रखते, तो कहानी का मूल संदेश—सादगी में महानता—कमजोर हो जाता और पाठ केवल सामाजिक परिस्थितियों का छिछला चित्रण रह जाता। इससे नैतिक शिक्षा और समाज-निर्देशन का उद्देश्य खत्म हो जाता।
11. परसाई जी ने इस कहानी के माध्यम से छात्रों के लिए क्या प्रेरणा दी है?
कहानी छात्रों को सच्चाई, आत्मविश्वास और अपनी असलियत स्वीकारने की प्रेरणा देती है। अवसरवाद और दिखावे से बचने तथा सिद्धांतों पर डटे रहने का महत्व बताया गया है।
12. परीक्षा में ‘फटे जूते’ पर प्रश्न पूछे जाने के सामान्य प्रकार क्या हैं? (CBSE Question Pattern FUQ)
- संक्षिप्त उत्तर: प्रतीकात्मकता, लेखक का दृष्टिकोण, प्रेमचंद की सादगी।
- लंबा उत्तर: पाठ का पुर्नविश्लेषण, सामाजिक संदेश, लेखक की शैली एवं व्यंग्य।
- HOTS: तुलनात्मक, समकालीन समाज में प्रासंगिकता, मूल्य आधारित प्रश्न।

















