Hindi (Kshitij) Important Questions for Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति (श्यामाचरण दुबे) Class 9 - FREE PDF Download
FAQs on Upbhoktavad Ki Sanskriti (उपभोक्तावाद की संस्कृति) Class 9 Important Questions: CBSE Hindi (Kshitij) Chapter 3
1. उपभोक्तावाद की संस्कृति क्या है? (Class 9 Important Questions – CBSE 2025–26)
उपभोक्तावाद की संस्कृति से अभिप्राय है ऐसी सामाजिक प्रवृत्ति जिसमें लोग अपनी मूलभूत आवश्यकताओं से आगे बढ़कर केवल भौतिक वस्तुओं के उपभोग को ही जीवन का लक्ष्य मानने लगते हैं। इसमें व्यक्ति सामाजिक प्रतिष्ठा और सामर्थ्य दिखाने के लिए लगातार नई-नई वस्तुएं खरीदता है।
2. उपभोक्तावाद की संस्कृति के समाज पर तीन मुख्य प्रभाव कौन-कौन से हैं? (Expected Question – 3 Marks)
- सामाजिक असमानता – आर्थिक स्तर के अंतर बढ़ जाते हैं।
- पारिवारिक मूल्यों में गिरावट – परस्पर संवाद घटता है।
- पर्यावरण पर दबाव – संसाधनों का अत्यधिक दोहन होता है।
3. उपभोक्तावादी संस्कृति के उदय के कौन से कारण महत्वपूर्ण हैं? (CBSE Board Trending – 2025–26)
- आर्थिक विकास से बढ़ती आय
- विज्ञापनों का प्रभाव
- पश्चिमी जीवनशैली का अनुकरण
4. उपभोक्तावाद की संस्कृति का विद्यार्थियों के मानसिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है? (FUQ – HOTS)
अगर विद्यार्थी उपभोक्तावादी सोच अपनाते हैं, तो उनमें भौतिक वस्तुओं की चाह और प्रतिष्ठा की होड़ बढ़ जाती है। इससे वे मानसिक तनाव, असंतोष और पारंपरिक मूल्यों की उपेक्षा जैसी समस्याओं से घिर सकते हैं।
5. उपभोक्तावाद की संस्कृति के दुष्परिणाम स्पष्ट कीजिए। (Frequently Asked – 5 Marks)
- भौतिकवाद के कारण मूल्यों का ह्रास
- सांस्कृतिक पहचान में कमी
- सामूहिकता की भावना का क्षरण
- प्राकृतिक संसाधनों का अपव्यय एवं प्रदूषण
6. महत्वपूर्णः गांधी जी उपभोक्तावाद की संस्कृति के विरोध में क्यों थे? (FUQ – Analysis Based)
गांधी जी मानते थे कि सादा जीवन उच्च विचार ही आदर्श है। उपभोक्तावादी संस्कृति लोगों को नैतिक पतन, प्रतिस्पर्धा और असंतोष की ओर ले जाती है, जिससे न केवल सामाजिक, बल्कि पारिवारिक संबंध भी कमजोर होते हैं।
7. उपभोक्तावाद की संस्कृति किस प्रकार पारंपरिक मूल्यों और संस्कारों को प्रभावित करती है? (Exam Focused – 2025–26)
इस संस्कृति के बढ़ने से पारंपरिक मूल्यबोध, सादगी, और साझा भावना में कमी आने लगती है। लोग पश्चिमी जीवनशैली अपनाने को प्राथमिकता देने लगते हैं, जिससे भारतीय सांस्कृतिक पहचान कमजोर होती है।
8. उपभोक्तावाद की संस्कृति को नियंत्रित करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं? (Application Based – FUQ)
- भौतिकता की बजाय मानसिक एवं आध्यात्मिक संतुलन को महत्व देना
- पारंपरिक मूल्यों, सादगी और सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देना
- मीडिया एवं विज्ञापनों का विवेकपूर्ण उपभोग
- विद्यालय स्तर पर मूल्य शिक्षा को संवर्धित करना
9. ‘उपभोक्तावाद की संस्कृति के कारण असंतोष बढ़ता है’ – इस कथन की व्याख्या कीजिए। (Exam-Focused, Analytical)
इस संस्कृति में संतोष का अभाव होता है, क्योंकि लोग लगातार अधिक और नवीन वस्तुओं की चाह में रहते हैं। इस अंतहीन होड़ में वे कभी संतुष्ट नहीं हो पाते, जिससे मानसिक असंतोष और तनाव बढ़ता है।
10. उपभोक्तावादी संस्कृति में विज्ञापनों की क्या भूमिका है? (Important, Short Question)
विज्ञापन नई-नई चीजों की चाह और प्रतिष्ठा के प्रतीक को समाज में लोकप्रिय बनाते हैं। वे उपभोक्ताओं को भ्रामक आकर्षण द्वारा वस्तुएं खरीदने के लिए प्रेरित करते हैं।
11. उपभोक्तावाद के कारण समाज में वर्ग भेद किस प्रकार गहराता है? (FUQ – Conceptual)
सिर्फ अमीर वर्ग ही अधिकांश महंगी वस्तुएं खरीद सकता है, जिससे आर्थिक एवं सामाजिक असमानता बढ़ती है। गरीब वर्ग स्वयं को पिछड़ा मानने लगता है, जिससे समाज का समावेशी स्वरूप कमजोर पड़ता है।
12. बोर्ड परीक्षाओं के दृष्टिकोण से ‘उपभोक्तावाद की संस्कृति’ पाठ क्यों महत्वपूर्ण है? (CBSE Board 2025–26 Trending)
यह पाठ समाजशास्त्रीय, मूल्य आधारित तथा समसामयिक प्रश्नों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसमें सामाजिक परिवर्तन, मूल्यों में गिरावट, पर्यावरण व आर्थिक दृष्टिकोण जैसे विषयों पर गहन प्रश्न पूछे जाते हैं।
13. उपभोक्तावाद की संस्कृति का बच्चों पर क्या दीर्घकालिक असर हो सकता है? (FUQ – Higher Order)
बचपन से उपभोक्तावादी प्रवृत्ति बच्चों को केवल भौतिक वस्तुओं की चाह में उलझाए रखती है। इससे उनमें सामाजिक दायित्व, नैतिक मूल्यों एवं सादगी की समझ कम हो जाती है, जो आगे चलकर परिपक्व सोच के विकास में बाधक बन सकती है।
14. परीक्षा में उपभोक्तावाद की संस्कृति पर उत्तर लिखते समय किन बिंदुओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए? (Exam Strategy Question, 2025–26)
- मुख्य अवधारणा स्पष्ट हो
- प्रभाव और कारण तर्कसंगत ढंग से लिखें
- प्रासंगिक उदाहरण दें
- मूल्य आधारित और सांस्कृतिक पक्ष अवश्य जोड़ें
15. क्या उपभोक्तावाद की संस्कृति का कोई सकारात्मक पक्ष भी हो सकता है? (FUQ – Critical Thinking, 2025–26)
यदि संतुलन बनाकर उपभोग किया जाए, तो यह आर्थिक विकास और नवाचार को बढ़ावा दे सकता है। परंतु अति उपभोग हमेशा हानिकारक साबित होता है, इसलिए विवेकपूर्ण उपभोग ही सकारात्मक परिणाम दे सकता है।

















